भरतपुर/जयपुर: राजस्थान में आम जनता को सरकारी सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई ई-मित्र योजना अब भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का केंद्र बनती जा रही है। जयपुर, नागौर, झुंझुनूं, दौसा और श्रीगंगानगर जैसे जिलों में सबसे ज्यादा ई-मित्र सेंटर ब्लैकलिस्ट किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ई-मित्र संचालकों ने दस्तावेजों में छेड़छाड़, फर्जीवाड़ा और हेराफेरी कर लोगों को नुकसान पहुंचाया। सरकारी रिकॉर्ड में इन गतिविधियों की पुष्टि होने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है।
भरतपुर और जयपुर जिलों में हुई औचक निरीक्षण कार्रवाई के दौरान यह मामला उजागर हुआ। कई जगह फर्जी दस्तावेजों के सहारे राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र आदि बनवाए जा रहे थे।
एक अधिकारी के अनुसार:
"ई-मित्र सेवा की मॉनीटरिंग कमजोर है। इसी का फायदा उठाकर कुछ संचालक सिस्टम से छेड़छाड़ कर रहे हैं। कई मामलों में तो नागरिकों के नाम पर बिना अनुमति के सेवाएं जारी कर दी गईं।"
अब तक राज्यभर में सैकड़ों ई-मित्र केंद्रों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। अकेले जयपुर में ही 60 से अधिक केंद्रों को निलंबित किया गया है।
जयपुर: 60+
नागौर: 40+
झुंझुनूं: 35+
दौसा: 30+
श्रीगंगानगर: 25+
ई-मित्र के माध्यम से आम लोग जैसे–
वृद्धावस्था पेंशन
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र
आधार लिंकिंग
बिजली-पानी बिल जमा
सरकारी योजनाओं के आवेदन
जैसी सेवाओं का लाभ लेते हैं। लेकिन अगर सेवा केंद्र ही अविश्वसनीय हो जाए तो नागरिकों का भरोसा टूटता है।
राज्य सरकार अब इस दिशा में सख्त रुख अपना रही है। सभी जिलों के ई-मित्र केंद्रों की नियमित जांच और निगरानी के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही, ई-मित्र संचालकों के लिए बायोमेट्रिक लॉगिन सिस्टम और CCTV अनिवार्य किया जा सकता है।
ई-मित्र योजना की मंशा भले ही जनसेवा की हो, लेकिन अगर इसके माध्यम से जनता के साथ धोखा हो रहा है, तो यह पूरी प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। सरकार को चाहिए कि वह सख्त कदम उठाकर ऐसे भ्रष्ट ई-मित्र संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जा सकें।
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